Karma story in hindi
1. कर्म का सिद्धांत
KARMA STORY IN HINDI |
अचानक अस्पताल में एक एक्सीडेंट का केस आया । अस्पताल के मालिक डॉक्टर ने तत्काल खुद जाकर आईसीयू में केस की जांच की। अपने स्टाफ को कहा कि इस व्यक्ति को किसी प्रकार की कमी या तकलीफ ना हो। उसके इलाज की सारी व्यवस्था की। रुपए लेने से भी या मांगने से भी मना किया।
15 दिन तक मरीज अस्पताल में रहा। जब बिल्कुल ठीक हो गया और उसको डिस्चार्ज करने का दिन है, तो उस मरीज का बिल अस्पताल के मालिक और डॉक्टर की टेबल पर आया। डॉक्टर ने अपने अकाउंट मैनेजर को बुला करके कहा -
इस व्यक्ति से एक पैसा भी नहीं लेना है। अकाउंट मैनेजर ने कहा कि डॉक्टर साहब तीन लाख का बिल है। नहीं लेंगे तो कैसे काम चलेगा। डॉक्टर ने कहा कि दस लाख का भी क्यों न हो। एक पैसा भी नहीं लेना है।
ऐसा करो तुम उस मरीज को लेकर मेरे चेंबर में आओ, और तुम भी साथ में जरूर आना। मरीज व्हीलचेयर पर चेंबर में लाया गया। साथ में मैनेजर भी था। डॉक्टर ने मरीज से पूछा -
KARMA STORY IN HINDI |
प्रवीण भाई! मुझे पहचानते हो! मरीज ने कहा लगता तो है कि मैंने आपको कहीं देखा है। डॉक्टर ने याद दिलाया।
एक परिवार पिकनिक पर गया था। लौटते समय कार बंद हो गयी और अचानक कार में से धुआं निकलने लगा। कार एक तरफ खड़ी कर थोड़ी देर हम लोगों ने चालू करने की कोशिश की, परंतु कार चालू नहीं हुई। दिन अस्त होने वाला था। अंधेरा थोड़ा-थोड़ा घिरने लगा था। चारों और जंगल और सुनसान था। परिवार के हर सदस्य के चेहरे पर चिंता और भय की लकीरें दिखने लगी। पति, पत्नी, युवा पुत्री और छोटा बालक। सब भगवान से प्रार्थना करने लगे कि कोई मदद मिल जाए।
थोड़ी ही देर में चमत्कार हुआ। मैले कपड़े में एक युवा बाइक के ऊपर उधर आता हुआ दिखा। हम सब ने दया की नजर से हाथ ऊंचा करके उसको रुकने का इशारा किया। यह तुम ही थे ना प्रवीण! तुमने गाड़ी खड़ी रखकर हमारी परेशानी का कारण पूछा। फिर तुम कार के पास गए।कार का बोनट खोला और चेक किया। हमारे परिवार को और मुझको ऐसा लगा कि जैसे भगवान् ने हमारी मदद करने के लिए तुमको भेजा है।
क्योंकि बहुत सुनसान था ।अंधेरा भी होने लगा था। और जंगल घना था। वहां पर रात बिताना बहुत मुश्किल था। और खतरा भी बहुत था। तुमने हमारी कार चालू कर दी। हम सबके चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई। मैंने जेब से बटुआ निकाला और तुमसे कहा -
भाई सबसे पहले तो तुम्हारा बहुत आभार। रुपए पास होते हुए भी ऐसी मुश्किल में मदद नहीं मिलती।तुमने ऐसे कठिन समय में हमारी मदद की, इस मदद की कोई कीमत नहीं है। अमूल्य है। परंतु फिर भी मैं पूछना चाहता हूं बताओ कितने पैसे दूं। उस समय तुमने मेरे से हाथ जोड़कर कहा -
जो तुमने शब्द कहे वह शब्द मेरे जीवन की प्रेरणा बन गये। तुमने कहा -
मेरा नियम और सिद्धांत है कि मुश्किल में पड़े व्यक्ति की मदद के बदले कभी पैसे नहीं लेता। मैं मुश्किल में पड़े हुए लोगों से कभी भी मजदूरी नहीं लेता। मेरी इस मजदूरी का हिसाब भगवान् रखते हैं।
KARMA STORY IN HINDI |
एक गरीब और सामान्य आय का व्यक्ति अगर इस प्रकार के उच्च विचार रखे, और उनका संकल्प पूर्वक पालन करे, तो मैं क्यों नहीं कर सकता। यह बात मेरे मन में आई। मेरे मन में धीरे से मेरी आत्मा ने मुझसे पूछा।
तुमने कहा कि यहां से 10 किलोमीटर आगे मेरा गेराज है। मैं गाड़ी के पीछे पीछे चल रहा हूं। गैराज़ पर चलकर के पूरी तरह से गाड़ी चेक कर लूंगा। और फिर आप यात्रा करें।
दोस्त यह बात, यह घटना पूरे 3 साल होने को आ गए । मैं न तो तुमको भुला ना तुम्हारे शब्दों को।और मैंने भी अपने जीवन में वही संकल्प ले लिया | 3 साल हो गए। मुझे कोई कमी नहीं पड़ी। मुझे मेरी अपेक्षा से भी अधिक मिला। क्योंकि मैं भी तुम्हारे सिद्धांत के अनुसार चलने लगा। और एक बात मैंने सीखी कि बड़ा दिल तो गरीब और सामान्य लोगों का ही होता है।
उस समय मेरी तकलीफ देखकर तुम चाहे जितने पैसे मांग सकते थे। परंतु तुमने पैसे की बात ही नहीं की। पहले कार चालू की और फिर भी कुछ भी नहीं लिया। यह अस्पताल मेरा है। तुम यहां मेरे मेहमान बनकर आए। मैं तुम्हारे पास से कुछ भी नहीं ले सकता। प्रवीण ने कहा कि साहब आपका जो खर्चा है वह तो ले लो।
डॉक्टर ने
कहा कि मैंने अपना परिचय का कार्ड तुमको उस वक्त नहीं दिया क्योंकि तुम्हारे
शब्दों ने मेरी अंतरात्मा को जगा दिया।
मैं
भगवान् से प्रार्थना करता था कि जिसने मुझे इतनी बड़ी
प्रेरणा दी, उस व्यक्ति का कर्ज चुकाने
का मौका कभी मुझे मिले।
और आज ऐसा अवसर आया कि मैं तुम्हारा कर्ज़ चुका पाया। अब मैं भी अस्पताल में आए हुए ऐसे संकट में पड़े लोगों से कुछ भी नहीं लेता हूँ। यह ऊपर वाले ने तुम्हारी मजदूरी का हिसाब रखा और वह मजदूरी का हिसाब आज उसने चुका दिया।
मेरी मजदूरी का हिसाब भी ऊपर वाला रखेगा और कभी जब मुझे जरूरत होगी, जरूर चुका देगा।अकाउंट मैनेजर से डॉक्टर ने कहा कि -
ज्ञान
पाने के लिए जरूरी नहीं कि कोई गुरु या महान पुरुष ही हो। एक सामान्य व्यक्ति भी
हमारे जीवन के लिए बड़ी शिक्षा और प्रेरणा दे सकता है।
प्रवीण से
डॉक्टर ने कहा -
तुम आराम
से घर जाओ, और कभी भी कोई तकलीफ हो तो
बिना संकोच के मेरे पास आ सकते हो, और आना।
यह याद
रखो कि समय बदलता रहता है।
प्रवीण ने
मेरे चेंबर में रखी भगवान् कृष्ण की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर कहा कि -
हे प्रभु आपने आज मेरे कर्म का पूरा हिसाब ब्याज समेत चुका दिया। समय बदलता रहता है।
जब भगवान्
को लेना होता है तो वह कुछ भी नहीं छोड़ते, और जब
देना होता है तो छप्पर फाड़ कर देते हैं।
और एक बार
भगवान् चाहे माफ कर दे, परंतु कर्म माफ नहीं करते।
सादगी अगर हो लफ्जो में हो
तो यकीन मानो,
प्यार बेपनाह और दोस्त
बेमिसाल मिल ही जाते हैं।
====================================================================
Comments
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.